G7 समिट- इजराइल-ईरान मुद्दे पर सहमति बनना मुश्किल

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नई दिल्ली, 17 जून 25 । कनाडा के कैननास्किस में G7 समिट शुरू हो गया है। इस समिट में सभी 7 सदस्य देशों के बीच पर सहमति बनना मुश्किल नजर आ रहा है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि, जाहिर है इस पर चर्चा होगी लेकिन प्रस्ताव को ठोस रूप देना बाकी है। हमें लोगों को एक साथ लाना होगा यह कैसे किया जाएगा इस पर बात करनी होगी।

कनाडा की न्यूज वेबसाइट CBC ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया कि, अमेरिकी राष्ट्रपति इजराइल और ईरान से जुड़े जी7 के जॉइंट बयान पर साइन करने को तैयार नहीं है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और कनाडा के पीएम मार्क कार्नी के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद ट्रम्प ने कहा- G7 पहले G8 हुआ करता था। बराक ओबामा और ट्रूडो दो ऐसे शख्स थे जो रूस को इसमें शामिल नहीं करना चाहते थे। और मैं कहूंगा कि यह एक गलती थी।

कनाडाई पीएम की वर्ल्ड नेताओं के साथ पहली बैठक

कनाडाई पीएम मार्क कार्नी की वर्ल्ड नेताओं के साथ पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठक है। उन्हें 4 चैलेंज का सामना करना पड़ सकता है।

1. ईरान-इजराइल संकट: ईरान का मुद्दा G7 एजेंडा में सबसे ऊपर रहेगा। इस पर सहमति बनाना कठिन साबित हो सकता है।

2. ट्रम्प का टैरिफ: यह समिट ऐसे समय हो रहा है जब वैश्विक व्यापार युद्ध चल रहा है। इसकी ट्रम्प ने की थी। वे कारोबारी रिश्तों को संतुलित करने के लिए टैरिफ का इस्तेमाल कर रहे हैं।

3. 2018 जैसे वॉकआउट से बचना: राष्ट्रपति के तौर पर ट्रम्प की यह दूसरी कनाडा यात्रा है। पहली बार वे 2018 में क्यूबेक के शार्लवॉ में G7 समिट में शामिल हुए थे। उस समय बैठक में माहौल गरमा गया था। ट्रम्प ने कनाडा, मैक्सिको और यूरोप पर स्टील और एल्युमिनियम टैरिफ लगा दिए थे।

4. भारत जैसे देशों से रिश्ते सुधारना: मेजबान कनाडा ने उन नेताओं को भी आमंत्रित किया है, जो G7 के स्थायी सदस्य नहीं हैं, जैसे भारत के पीएम मोदी। पिछले कुछ सालों से भारत-कनाडा के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं। उनके सामने रिश्ते सुधारना एक बड़ी चुनौती होगा।

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