9 साल बाद फाइनल में पहुंची RCB कैसे बनी IPL-चैंपियन

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नई दिल्ली । इंतजार खत्म, IPL की तीसरी सबसे बड़ी टीम RCB ने 18 सीजन में पहला टाइटल जीत ही लिया। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मंगलवार पंजाब किंग्स को 6 रन से फाइनल हराया और PBKS के पहले खिताब का इंतजार बढ़ा दिया।

IPL में पहली बार कप्तानी कर रहे रजत पाटीदार ने RCB को घर से बाहर सभी मैच जिताए। टीम ने 11 मैच जीते, इनमें 1-2 नहीं, बल्कि 9 अलग-अलग प्लेयर ऑफ द मैच निकले। गेंदबाजों के दम पर बेंगलुरु ने बता दिया कि बड़े नाम नहीं, मजबूत टीम के सहारे चैंपियन कैसे बना जाता है।

RCB की विनिंग स्ट्रैटजी मेगा ऑक्शन से पहले ही बननी शुरू हो गई थी। जब मेंटॉर दिनेश कार्तिक ने डायरेक्टर मो बोबत और कोच एंडी फ्लॉवर के साथ प्लानिंग कर बेस्ट टीम खरीदी।

क्रिस गेल, एबी डिविलियर्स, ग्लेन मैक्सवेल और फाफ डु प्लेसिस जैसे बड़े प्लेयर्स पर दांव खेलने वाली RCB ने इस बार विराट कोहली के अलावा किसी भी बड़े प्लेयर को रिटेन नहीं किया।

RCB ने बैटिंग ऑलराउंडर मिलाकर टूर्नामेंट में 11 बैटर्स ट्राई किए। इनमें 5 का स्ट्राइक रेट 170 से ज्यादा का रहा, यानी इनका रोल लगातार अटैक करने का रहा। इनमें रोमारियो शेफर्ड, टिम डेविड, जितेश शर्मा, जैकब बेथेल और फिल सॉल्ट शामिल थे।

बेंगलुरु के 4 बैटर्स ने 250 से ज्यादा रन भी बनाए। इनमें विराट कोहली 657 रन बनाकर टॉप पर रहे। ओपनिंग में फिल सॉल्ट ने उनका बखूबी साथ दिया, जिन्होंने 175 प्लस के स्ट्राइक रेट से 403 रन बना दिए। 10 मैच खेलने के बाद इंजर्ड होकर टूर्नामेंट से बाहर हो गए देवदत्त पडिक्कल ने भी 150 के स्ट्राइक रेट से 247 रन बना दिए। कप्तान पाटीदार ने भी 312 रन बनाए। चारों ने मिलकर RCB के लोअर मिडिल ऑर्डर पर दबाव बढ़ने ही नहीं दिया।

फिनिशर्स पर कभी दबाव बढ़ा भी तो जितेश, डेविड और शेफर्ड ने मौके को भुनाकर टीम को जीत दिलाई। लीग स्टेज के आखिरी मैच में जब RCB को टॉप-2 में पहुंचने के लिए 228 रन चेज करने थे, तब विकेटकीपर जितेश ने ही 33 गेंद पर 85 रन बनाकर बेंगलुरु को जीत दिलाई थी।

RCB के यूट्यूब चैनल पर कार्तिक ने बताया कि कैसे मैनेजमेंट ने हर एक रोल के लिए अलग-अलग खिलाड़ी खरीदा। टीम ने ओपनिंग, मिडिल ऑर्डर, फिनिशिंग, स्पिन से लेकर पावरप्ले और डेथ बॉलिंग तक के लिए बेस्ट प्लेयर्स के ऑप्शन तय किए। फिर ऑक्शन में बेस्ट प्लेयर्स ही खरीदे। अगर बेस्ट नहीं मिला तो सेकेंड बेस्ट खरीदा, लेकिन रोल आधारित खिलाड़ियों पर ही फोकस किया।

जिसका नतीजा यह हुआ कि बेंगलुरु ने ऑक्शन के बाद ही लगभग परफेक्ट टीम बना ली। ऐसी ही टीम पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स ने भी बनाई। पंजाब रनर-अप रही, वहीं दिल्ली पांचवें नंबर पर रहकर बाहर हो गई, लेकिन बेंगलुरु ने चैंपियन बन कर अपनी ऑक्शन स्ट्रैटजी को सही साबित कर दिया।

4 बॉलर्स ने 13 प्लस विकेट लिए RCB ने बॉलिंग यूनिट में भी ज्यादा बदलाव नहीं किए। जोश हेजलवुड, यश दयाल और भुवनेश्वर कुमार को नई गेंद के साथ डेथ ओवर्स संभालने की जिम्मेदारी मिली। वहीं स्पिनर क्रुणाल पंड्या और सुयश शर्मा को मिडिल ओवर्स में रन रोकने का काम सौंपा गया। दोनों स्पिनर्स ने 8.50 से कम की इकोनॉमी से रन खर्च किए और 25 विकेट भी लिए। क्रुणाल ने तो फाइनल में भी किफायती गेंदबाजी की और महज 17 रन देकर 2 बड़े विकेट निकाल लिए।

हेजलवुड इंजरी के कारण 12 ही मैच खेल सके, लेकिन उन्होंने 22 विकेट निकाले। उन्होंने भुवनेश्वर कुमार के साथ मिलकर पावरप्ले में RCB की गेंदबाजी पर दबाव बढ़ने ही नहीं दिया। भूवी और हेजलवुड अगर कभी फ्लॉप हो जाते तो लेफ्ट आर्म पेसर यश दयाल तीसरे स्पेल में आकर विकेट ले जाते। RCB के पेसर्स ने 64 विकेट निकाले, जो टूर्नामेंट में MI और SRH के बाद सबसे ज्यादा रहे।

पांचों बॉलर्स कभी कामयाब नहीं हो पाते तो रोमारियो शेफर्ड 1-2 ओवर फेंककर बड़ा विकेट ले जाते। उन्होंने फाइनल में भी पंजाब के कप्तान श्रेयस अय्यर को महज 1 रन पर कॉट बिहाइंड कराया और RCB को हावी कर दिया। शेफर्ड ने 8 मैच में 11 की इकोनॉमी से रन खर्च किए, लेकिन 6 विकेट भी निकाले।

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