• ‘सीएमश्री’ और सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर बनाएंगे ताकि लोग अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में करवाएंगे
- दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस-2025 बिल को लेकर दिल्ली के सैकड़ों पैरेंट्स ने आभार व्यक्त किया
नई दिल्ली। 3 मई 25 । प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी पर नकेल कसने के लिए दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस-2025 के रूप में दिल्ली सरकार जो ऐतिहासिक बिल लेकर आई है। उसके लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद का आभार व्यक्त करने के लिए आज दिल्ली सचिवालय में दिल्ली के विभिन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़े रहे छात्रों के सैकड़ों अभिभावक पहुंचे। सभी अभिभावकों ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का दिल खोलकर स्वागत किया और कहा कि यह बिल दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों उनके पैरेंट्स के लिए एतिहासिक कदम है। अभिभावकों ने यह भी कहा कि मात्र दो महीने पुरानी सरकार ने दिल्ली वालों के लिए जो कदम उठाया है वह सराहनीय हैं। जिससे लाखों बच्चों और उनके पैरेंट्स को बहुत बड़ी राहत मिली है।
दिल्ली सचिवालय में दिल्ली के अलग-अलग निजी स्कूलों से पहुंचे बच्चों के पैरेंट्स को मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने भरोसा दिया कि हमारी सरकार राजधानी के स्कूलों में पढ़ने वाले किसी भी बच्चे के साथ नाइंसाफी नहीं होने देगी। यदि किसी छात्र और पैरेंट्स को कोई स्कूल फीस संबंधित मामले में प्रताड़ित करता है तो वह सीधे सीएम और शिक्षा मंत्री से शिकायत कर सकते हैं।
अभिवावकों से संवाद करते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा लाया गया दिल्ली स्कूल एजुकेशन (ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस)-2025 बिल हमारी सरकार का ऐतिहासिक और निर्णायक कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले वर्षों 27 सालों से दिल्ली के अभिभावकों के साथ प्राइवेट स्कूल मनमानी फीस बढ़ाकर अन्याय कर रहे थे। निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाते रहे और पिछली सरकारों के पास ऐसा कोई स्पष्ट कानून या दिशा-निर्देश ही नहीं था, जिससे मनमानी फीस पर लगाम लगाई जा सके।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि जब अभिभावकों की आवाज़ हमारी सरकार तक पहुंची, तब हमने इस बात को बड़ी गंभीरता से लिया। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सत्ता में आने के मात्र दो महीन के भीतर ही शिक्षा मंत्री जी के नेतृत्व में एक मजबूत और न्यायसंगत अधिनियम का मसौदा तैयार कर लिया गया है।
रेखा गुप्ता ने आगे यह भी बताया कि इस विधेयक के माध्यम से दिल्ली के सभी 1677 निजी स्कूलों की फीस को अब पारदर्शी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। अब प्राइवेट स्कूलों में फीस तय करने की प्रक्रिया में अभिभावकों, स्कूल प्रबंधन और अन्य हितधारकों की सहभागिता अनिवार्य होगी।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री आशीष सूद की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने नए विधेयक को बनाने में स्कूल प्रबंधन, पैरेंट्स और शिक्षा निदेशालय समेत सभी पक्षों से विचार-विमर्श कर बेहद शानदार कानूनी रूपरेखा तैयार की है। देश भर के कई राज्यों के शिक्षा संबंधी नियमों का भी बारीकी से अध्ययन किया गया ताकि दिल्ली के लिए एक सर्वश्रेष्ठ मॉडल तैयार किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि हमारी सरकार जो नए 65 सीएमश्री स्कूल बनाने जा रही है। उससे दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूल इतने बेहतर और आधुनिक शिक्षा व्यवस्था देने में सक्षम हो जाएंगे कि लोग निजी स्कूलों को छोड़कर दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने कहा कि हम दिल्ली सरकार के स्कूलों को इस रूप में विकसित करेंगे कि अभिभावक गर्व से अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजेंगे। यह विधेयक दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा देगा।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि जल्द ही विधानसभा का सत्र बुलाकर इस विधेयक को पास करवाया जाएगा और इस विधेयक के लागू होने के बाद दिल्ली के सभी अभिभावक को मानमानी फीस बढ़ोतरी से मुक्ति मिल जाएगी।
संवाद कार्यक्रम में दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि हमारी सरकार ने मात्र दो महीनों के छोटे से कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में जो मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई है। और 60 दिनों के भीतर एक मजबूत इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए विधेयक लेकर आई है। जबकि पिछली सरकारों, विशेष रूप से आम आदमी पार्टी की सरकार ने शिक्षा को सिर्फ एक राजनीतिक मंच और बच्चों और पैरेंट्स को लूट का जरिया बना रखा था। उन्होंने कभी फीस नियंत्रण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में हर वर्ष फीस बढ़ाई जाती रही, लेकिन न तो कोई निगरानी व्यवस्था बनाई गई और न ही पारदर्शिता सुनिश्चित की गई।
सूद ने बताया कि हमने देखा है कि पिछली सरकारों ने कैसे निजी स्कूलों पर फीस बढ़ाने को लेकर कार्रवाई करने का ढोंग किया और अंडर द टेबल स्कूल मैनेजमेंट से सौदेबाजी होती रही। पिछले 27 सालों से हर साल स्कूलों की फीस बढ़ती रही। फीस को पारदर्शी तरीके से नियमित करने का कोई प्रयास ही नहीं किया गया। स्कूल फीस बढ़ाते थे और आम आदमी पार्टी की सरकार एक झूठा हमला करती थी स्कूलों पर और फिर प्रबंधन से हाथ मिलाकर बच्चों के ऊपर मानसिक दबाव बनाया जाता था। अभिभावकों की जेब पर बोझ पड़ता रहा । जिससे लोगों का सरकार और शिक्षा व्यवस्था के प्रति विश्वास कम होता गया। उन्होंने कहा कि डीपीएस में पढ़ने वाले छात्रों के पैरेंट्स ने बताया कि हम लोग फीस वृद्धि को लेकर 2020 से संघर्ष कर रहे हैं, दिल्ली के पूर्व सीएम से लेकर शिक्षा मंत्री तक शिकायत की गई थी, लेकिन कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हुई। जैसे ही 2025 में हमारी सरकार आई तो सीएम रेखा गुप्ता ने एक कमेटी बनाई । डीएम की कमेटी ने निजी स्कूलों के मामलों की गहन जांच की और उसकी रिपोर्ट के आधार पर पहली बार दिल्ली पब्लिक स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों पर दिल्ली हाईकोर्ट को सख्त आदेश जारी करना पड़ा। हमारी सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई और न्यायसंगत प्रक्रिया अपनाते हुए स्कूल फीस को लेकर पारदर्शिता और जवाब देही सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाया है।
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि रेखा गुप्ता की सरकार की नीयत निजी स्कूल प्रबंधन से सिर्फ टकराव की नहीं है, बल्कि हमारा उद्देश्य साफ है कि दिल्ली के बच्चों को मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक शोषण से हमेशा के लिए मुक्ति दिलाना है।
शिक्षा मंत्री ने प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले दिल्ली के सभी छात्रों और उनके अभिभावक को भरोसा दिया कि नया विधेयक जब विधानसभा में पास होकर कानून बन जाएगा तो यह शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक कानून बनने के बाद दिल्ली के सभी 1677 प्राइवेट स्कूलों पर प्रभावी माना जाएगा शिक्षा मंत्री ने भरोसा दिया कि आने वाले समय में दिल्ली के सरकारी स्कूलों को इतना सशक्त बनाया जाएगा कि वे प्राइवेट स्कूलों को कड़ी चुनौती देते नजर आएँगे। राजधानी के लोग भविष्य में अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाने के लिए दौड़-भाग करेंगे।
संवाद कार्यक्रम में पहुंचे DPS द्वारका के अभिभावकों ने कहा कि हमने लगभग 20 से 25 बार पिछली सरकर से शिकायत कर ज्ञापन भी सौंपा, लेकिन उस पर कभी कोई कार्रवाई ही नहीं हुई। हमें यह बताते हुए बेहद दुख होता है कि हम बार-बार सरकार से गुजारिश करते रहे लेकिन किसी ने हमारी बात तक नहीं सुनी। मैं किसी का नाम लेना नहीं चाहता, लेकिन आप सबको पता है कि हमने पूर्व शिक्षा मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री तक से मिलने की कोशिश की, लेकिन हमें कभी मिलने तक का समय नहीं मिला। जब नई सरकार सत्ता में आई और जैसे ही शिक्षा मंत्री
आशीष सूद जी को हमारी समस्या की जानकारी हुई, तो उन्होंने हमें पहली ही मीटिंग में बुलाकर स्पष्ट रूप से कहा था कि आप हमें केवल 15 दिन का समय दीजिए, हम इस पर अवश्य कार्रवाई करेंगे।’ आज आप सब देख रहे हैं कि एक विधेयक लाया गया है, जिसमें अभिभावकों की भागीदारी को औपचारिक रूप से बढ़ाया गया है। यह बीजेपी सरकार की इच्छाशक्ति और संवेदनशीलता का परिणाम है।
संवाद कार्यक्रम में कई अभिभावकों ने कहा कि सरकार का यह कदम पारदर्शिता की ओर बढ़ाई हुई एक शानदार पहल है। अब निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ा पाएंगे। अब निजी स्कूलों को पैरेंट्स को बताना पड़ेगा कि वह किस लिए फीस बढ़ा रहे हैं। सरकार की दखलनदाजी से ना सिर्फ निजी स्कूलों की फीस वृध्धि पर लगाम लगी है बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी आमूलचूल परिवर्तन दिखाई देगा।