नई दिल्ली,22 मई । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसी को विचारधारा के लिए जेल में नहीं डाला जा सकता। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक नेता की हत्या के आरोपी को जमानत देते हुए की।
सुनवाई के दौरान नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के वकील ने कहा कि विचारधारा गंभीर अपराधों की ओर ले जाती है। इस पर कोर्ट ने कहा- आप किसी को उसकी विचारधारा के लिए जेल में नहीं डाल सकते। हम यह चलन देख रहे हैं। किसी ने एक खास विचारधारा अपना ली, इसलिए उन्हें जेल में डाल दिया जाता है।
साल 2022 में केरल के पलक्कड़ जिले में RSS नेता श्रीनिवासन की हत्या हुई थी। मामले में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की केरल यूनिट के तब के महासचिव अब्दुल साथर को आरोपी बनाया गया है।
कोर्ट बोला- प्रक्रिया सजा नहीं बन सकती NIA के वकील ने दलील दी कि भले ही FIR में साथर का नाम नहीं है, लेकिन PFI महासचिव के तौर पर उसने कैडरों की भर्ती और हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने जैसे काम किए। उस पर 71 मामले दर्ज हैं।
साथर की ओर से पेश वकील तर्क दिया कि सभी मामले हड़ताल की घटनाओं से जुड़े हैं। इन सभी मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है।
इस पर NIA के वकील ने कहा- साथर पर IPC की धारा 353 के तहत सात और धारा 153 के तहत तीन मामले हैं। साथर लगातार अपराध दोहराता रहा। अपराध करने से रोकने के लिए साथर को हिरासत में रखने के अलावा अन्य कोई तरीका नहीं है। विचारधारा गंभीर अपराधों की ओर ले जाती है।
इस पर जस्टिस ओका ने कहा- यह नजरिए की समस्या है। नजरिया यह है कि हम व्यक्ति को सलाखों के पीछे ही रखेंगे। वहीं, जस्टिस भुइयां ने कहा इसलिए आरोपी पर मुकदमा चलाकर सजा दी जाती है, लेकिन यह प्रक्रिया ही सजा नहीं बन सकती।