आतंक फैलाने वाले पाकिस्तान को UNSC में बड़ी जिम्मेदारी

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नई दिल्ली । 4 जून 2025। पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। तालिबान प्रतिबंध समिति को 1988 समिति के तौर पर भी जाना जाता है। गुयाना और रूस इस समिति के उपाध्यक्ष के रूप में काम करेंगे।

यह समिति उन व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं की आर्थिक संपत्ति फ्रीज करने, यात्रा और हथियारों पर प्रतिबंध लगाने जैसे फैसले लेती है, जो अफगानिस्तान की शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए खतरा माने जाते हैं।

तालिबान से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान अब तालिबान प्रतिबंध समिति से जुड़ी बैठकों की अध्यक्षता करेगा, सिफारिशें तैयार करेगा और सदस्यों के बीच सहमति बनाने में मदद करेगा।

तालिबान प्रतिबंध समिति पहले ISIL और अल-कायदा से जुड़े आतंकियों की निगरानी करती थी। बाद में इसे UNSC के प्रस्ताव 1988 के तहत 2011 में फिर से अलग रूप में संगठित किया गया, ताकि इसे तालिबान पर केंद्रित किया जा सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान को तालिबान पर प्रतिबंध लगाने वाली समिति की कमान मिलने के बाद अगर वह तालिबान के खिलाफ सख्त एक्शन लेता है तो इससे उसके संबंधों पर असर पड़ सकता है।

पाकिस्तान को यह जिम्मेदारी ऐसे समय में मिली है, जब उसका वह तालिबान से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है। पिछले महीने ही चीन के जरिए तालिबान और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई थी।

आतंकवाद रोधी समिति के पास सजा देने का अधिकार नहीं

इसके अलावा पाकिस्तान को आतंकवाद रोधी समिति (1373 काउंटर टेररिज्म कमेटी) का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है। अल्जीरिया को आतंकवाद रोधी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। फ्रांस और रूस को पाकिस्तान के साथ कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया है।

आतंकवाद रोधी समिति के पास खुद से सजा देने या कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है, लेकिन यह सदस्य देशों की गतिविधियों की निगरानी करती है और उन्हें सुझाव देती है कि वे आतंकवाद के खिलाफ क्या कदम उठाएं।

समिति की अध्यक्षता हर साल बदलती है, और यह भूमिका किसी सदस्य देश को दी जाती है। 2025 में इस समिति की अध्यक्षता अल्जीरिया को मिली है, जबकि पाकिस्तान समेत 3 देशों को उपाध्यक्ष बनाया गया है।

भारत ने 2022 में इस समिति की अध्यक्षता की थी। यह अध्यक्षता भारत को 2021-2022 के लिए अस्थायी सदस्य चुने जाने के बाद मिली थी।

तालिबान प्रतिबंध समिति और आतंक रोधी समिति दोनों ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की समितियां हैं, लेकिन इनके काम और दायरा अलग-अलग हैं।

आतंक रोधी समिति पूरी दुनिया में आतंकवाद से लड़ने में मदद करती है। वहीं, तालिबान प्रतिबंध समिति का काम अफगानिस्तान की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले आतंकियों पर प्रतिबंध लगाना है।

भारत बार-बार यह मुद्दा उठाता रहा है कि पाकिस्तान यूनाइटेड नेशन के नामित आतंकवादियों और आतंकी संगठनों को सबसे अधिक संख्या में पनाह देता है। उदाहरण के लिए, अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपा हुआ पाया गया था और 2011 में अमेरिकी नौसेना सील ऑपरेशन में उसे मार दिया गया था।

गौरतलब है कि पाकिस्तान 2025-26 के कार्यकाल के लिए 15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक अस्थायी सदस्य है। सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं – चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका। पाकिस्तान के अलावा, वर्तमान गैर-स्थायी सदस्य अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पनामा, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया हैं।

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