- IIHT, जोधपुर में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए ‘हथकरघा संवर्धन’ योजना के तहत वृद्धि की सिफारिश
- अतिरिक्त स्टेट स्टाइपेंड ₹400/माह से बढ़ाकर ₹2000/माह किया गया; शैक्षिक पुस्तक/भ्रमण भत्ता ₹1000/वर्ष से बढ़ाकर ₹5000/वर्ष किया गया
नई दिल्ली। 1 जून, 2025 । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के निर्देशानुसार पारंपरिक हैंडलूम के क्षेत्र में युवाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक प्रमुख नीति प्रस्ताव में, दिल्ली सरकार ने ‘हथकरघा संवर्धन’ योजना के तहत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हैंडलूम टेक्नोलॉजी (IIHT), जोधपुर में हथकरघा प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में उचित वृद्धि की सिफारिश की है। प्रस्ताव में छात्र सहायता के दो प्रमुख घटकों में वृद्धि की गई है :एडिशनल स्टेट स्टाइपेंड के तहत पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों के प्रशिक्षण के लिए मौजूदा ₹400 प्रति माह से बढ़ाकर ₹2000 प्रति माह करने का प्रस्ताव है। दूसरे शैक्षिक पुस्तक/भ्रमण भत्ता: दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों के लिए प्रति वर्ष ₹1000 से बढ़ाकर ₹5000 प्रति छात्र करने का प्रस्ताव है। वित्तीय सहायता की बढ़ी हुई दरें शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू हो रहा है, जैसा कि वर्तमान दरें 2009-10 से नहीं बढ़ाई गई हैं , लगभग 15 वर्षों से इसमें कोई वृद्धि नहीं की गई है तब से कोई संशोधन नहीं किया गया है। समय के साथ, अध्ययन सामग्री, तकनीकी पुस्तकों और टूर के माध्यम से शैक्षिक प्रदर्शन की लागत में काफी वृद्धि हुई है, जिससे यह वृद्धि आवश्यक हो गई है।
सिरसा ने कहा कि यह हमारे युवाओं और भारतीय हथकरघा की प्राचीन विरासत में एक रणनीतिक निवेश है। यह केवल वित्तीय सहायता में वृद्धि नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य के कारीगरों की नींव को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
उन्होंने आगे कहा, “यहां तक कि एक मामूली सहयोग भी, जब दूरदृष्टि और सोच-समझकर प्रदान किया जाए, तो यह छात्रों को सम्मानपूर्वक अपना प्रशिक्षण पूरा करने और पारंपरिक शिल्प के पुनरुद्धार एवं आधुनिकीकरण में सक्रिय भूमिका निभाने में सक्षम बना सकता है।”
एडिशनल स्टाइपेंड तथा पुस्तक एवं शैक्षणिक भ्रमण भत्तों की दरों में संशोधन के लिए प्रस्तावित वृद्धि जरूरी है क्योंकि वर्तमान दरें अब छात्रों द्वारा वहन की जाने वाली वास्तविक लागतों को प्रतिबिंबित नहीं करतीं।
यह प्रस्ताव मुद्रास्फीति तथा शिक्षा से संबंधित खर्चों में हुई वृद्धि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जिससे स्टाइपेंड की प्रभावशीलता और प्रासंगिकता सुनिश्चित की जा सके।
वित्तीय वर्ष 2025–26 के लिए इस योजना के अंतर्गत कुल ₹10.00 लाख का बजटीय प्रावधान निर्धारित किया गया है, ताकि संशोधित दरों के अनुरूप व्यय का वहन किया जा सके।
यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार की भविष्योन्मुखी और समावेशी नीति दृष्टि को दर्शाता है – एक ऐसा दृष्टिकोण जो न केवल युवाओं को कौशल प्रदान करने एवं उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान पर केंद्रित है, बल्कि पारंपरिक हथकरघा उद्योग को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से, इसे अधिक सुलभ, व्यवहार्य और टिकाऊ शिक्षा पद्धति के रूप में प्रस्तुत करता है।