- देश की पहली व्यावसायिक रूप से स्वीकृत बीईएसएस का दिल्ली के आशीष सूद ने किया उद्घाटन
- दिल्ली में 24×7 निर्बाध और किफायती बिजली आपूर्ति सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है
नई दिल्ली । 29 मई 25 । दिल्ली के ऊर्जा मंत्री आशीष सूद ने आज किलोकरी, 33 केवी सब-स्टेशन, नई दिल्ली में B S E S राजधानी पावर लिमिटेड द्वारा बनाये गए भारत की पहली वाणिज्यिक रूप से अनुमोदित एवं दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी 20 मेगावाट / 40 मेगावाट-प्रति घंटा स्टैंडअलोन यूटिलिटी स्केल बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली का उद्घाटन किया। इस अवसर पर रामवीर सिंह बिधूड़ी, सांसद के साथ साथ बिजली कंपनियों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
आशीष सूद ने परियोजना के बारे में बताया की यह भारत के साथ ही राजधानी दिल्ली के लिए बिजली के क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने इसे रिकॉर्ड समय में बनाकर तैयार किया है। इंडीग्रिड, जीईएपीपी और टेरी के सहयोग से विकसित यह परियोजना पूरे भारत में ऐसी नियामक और नई तकनीकी के लिए नई मिसाल कायम करेगी। यह साउथ एशिया का सबसे बड़ा स्टैंडअलोन बैटरी इनवर्टर टाइप पावर सेटअप है — सबसे आधुनिक (advanced) तकनीक पर आधारित। इसके माध्यम से हम दिल्ली की जनता को निर्बाध (uninterrupted) बिजली आपूर्ति देने का कार्य करने जा रहे हैं। यह सबसे आधुनिक प्रक्रिया बड़े पैमाने पर अपनाई जाएगी, ताकि दिल्ली की जनता को बिना किसी रुकावट के बिजली मिल सके।
ऊर्जा मंत्री ने आगे कहा की दिल्ली में हम इस नई तकनीक का उपयोग करना चाहते हैं, जिसके लिए आवश्यक निवेश की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, जो अन्य उद्यमी (entrepreneurs) सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, उन्हें भी हम आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेंगे, ताकि दिल्ली में लगातार और स्थायी बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। यह परियोजना स्वच्छ ऊर्जा भंडारण में सहायक होने, ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के साथ ही नवाचार के एक नए युग की शुरुआत भी है।
मंत्री ने यह भी कहा की जब यह 20 मेगावाट की स्टोरेज तकनीक लागू होगी, तो इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव कम होगा। हम और प्रयास करेंगे। इसे और बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा — विशेषकर उन अनधिकृत कॉलोनी क्षेत्रों में, जहाँ जमीन की कमी है, जहाँ ग्रिड मौजूद नहीं है।
उर्जा मंत्री ने आगे कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में हमारी सरकार की पहली प्राथमिकता है कि पिछले दस सालों से बेकार और बेदम दिल्ली का जो पावर इंफ्रास्ट्रक्चर है उसको दिल्ली की जनता के लिए जल्द से जल्द मजबूत बनाया जाए। दिल्ली की उर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए नई-नई तकनीक को अपनाया जाए। नई टेक्नालॉजी का तेजी से इस्तेमाल हो ताकि सुचारू रूप से 24 घंटे बिजली की सप्लाई दिल्ली की जनता को मिलती रहे।
उन्होंने यह भी कहा की आज दिल्ली में एक नए इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की शुरुआत हो रही है। यह केवल एक भवन या संयंत्र नहीं है, बल्कि एक नई सोच, नई दिशा की झलक है। दिल्ली की सोलर पॉलिसी को प्रधानमंत्री जी की ‘सूर्य घर योजना’ से जोड़ते हुए आगे बढ़ाया गया है। यदि आप अपने घर पर 3 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाते हैं, तो केंद्र सरकार की ₹78,000 की सब्सिडी के अलावा, दिल्ली सरकार भी ₹30,000 की टॉप-अप सब्सिडी देगी। यानी कुल ₹1,08,000 तक की सब्सिडी मिलेगी। बाकी लागत के लिए 5% ब्याज पर आसान लोन की सुविधा मिलेगी। और तो और — बिजली विभाग आपसे पैसे लेने नहीं आएगा, बल्कि हर महीने आपके खाते में सौर बिजली से हुई बचत की राशि भेजी जाएगी। यही है सोच, जो दिल्ली को एक नई दिशा देने जा रही।
सूद ने कहा कि पिछले दस वर्षों में पिछली सरकार ने बिजली के बुनियादी ढांचे (infrastructure) को मजबूत करने की दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं किया। केवल और केवल ‘लिफ्ट सर्विस’ करने जैसे काम हुए। एक और बात याद रखनी चाहिए — डीटीएल (DTL) जैसी प्रमुख कंपनियों को पिछली सरकार द्वारा नजरअंदाज किया गया, जिससे उन्हें लगभग बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया गया। प्रधानमंत्री भी ‘विकसित भारत’ की बात करते हैं। विकसित भारत की राजधानी कैसी होनी चाहिए? विकसित भारत की विकसित दिल्ली कैसी होगी? विकसित भारत की विकसित दिल्ली कुछ ऐसी ही होगी — जहां ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार और नई टेक्नोलॉजी के साथ, दिन की धूप से ऊर्जा संचित करके रात में एक लाख परिवारों को अबाधित बिजली आपूर्ति दी जा सकेगी।
सूद ने आगे कहा की बीते 10 वर्षों में न तो किसी बड़ी खरीदारी की गई, न ही बिजली के बुनियादी ढांचे को लेकर कोई बड़ा कदम उठाया गया। दिल्ली के नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ। हां, दिखावे के लिए बहुत बड़ी-बड़ी बातें जरूर की गईं। आज जो लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, उन्हें आकर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रयासों को देखना चाहिए। लेकिन वे तो स्वयंभू बेरोजगार नेता हैं — उनके पास अब करने को यही बचा है। आने वाला भविष्य क्या होगा, यह स्पष्ट है। वे समझ लें कि हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं। जब पियूष गोयल जी देश के ऊर्जा मंत्री थे, तब उनके सहयोग और पहल पर यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। अगर वह प्रयास न हुआ होता, तो आज दिल्ली अंधेरे में डूबी होती। इसलिए, सुधार का कार्य चाहे केंद्र में हो या राज्य में वह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ही आगे बढ़ रहा है।