फिलिस्तीनी राजदूत UN में गाजा के हालात बताते हुए रोए

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गाजा 30 मई – फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर गुरुवार को UN में गाजा के हालात बताते हुए फूट-फूट कर रो पड़े। उन्होंने दुनिया को गाजा में भूख से तड़पते बच्चों और वहां के बदतर हालात के बारे में बताया।

मंसूर ने कहा- कई बच्चे भूख से मर रहे हैं। महिलाएं अपने बेजान बच्चों को गले लगा रही हैं, उनके बालों को सहला रही हैं, उनसे बात कर रही हैं, उनसे माफी मांग रही हैं। यह सब देखना तकलीफदेह है। कोई ऐसा कैसे कर सकता है? यह कहते हुए उनके आंसू फूट पड़े।

मंसूर ने आगे कहा- फिलिस्तीनियों की इस हालात को कोई आम इंसान बर्दाश्त नहीं कर सकता। आग और भूख फिलिस्तीनी बच्चों को निगल रही है।

उन्होंने कहा- कोई भी वजह फिलिस्तीनियों पर हमले को जायज नहीं ठहरा सकती। हम भी इंसान हैं। हमें अपने देश पर गर्व है। हमें बिल्कुल वैसे ही सम्मान मिलना चाहिए, जैसे बाकी सभी को।

इजराइल ने सीजफायर का प्रस्ताव स्वीकार किया

इस बीच, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में सीजफायर का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। यह प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ ने दिया था।

इससे पहले 26 मई को उग्रवादी संगठन हमास ने अमेरिका की तरफ से गाजा में युद्धविराम के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। इस प्रस्ताव में 10 इजराइली बंधकों की रिहाई और 70 दिन का युद्धविराम शामिल था।

इजराइल और हमास के बीच 19 जनवरी को सीजफायर हुआ था, लेकिन दो महीने बाद 18 मार्च को इजराइल ने गाजा में एयरस्ट्राइक करके इसे तोड़ दिया था। मार्च में इजराइल के युद्धविराम तोड़ने के बाद से 2000 से ज्यादा फिलिस्तीनी बच्चों की मौत हो चुकी है और लगभग 4,000 घायल हैं।

नेतन्याहू में हमास लीडर मोहम्मद सिनवार के मारे जाने की बात कही

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार को 14 मई के इजराइली हमले में हमास का सीनियर लीडर मोहम्मद सिनवार के मारे जाने की बात कही थी।

इजराइली संसद में बोलते हुए नेतन्याहू ने कहा कि मोहम्मद सिनवार उन लोगों की लिस्ट में शामिल था जिन्होंने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल में हमला किया था।

मोहम्मद सिनवार का बड़ा भाई याह्या सिनवार हमास का हेड और अक्टूबर 2023 में इजराइल पर हुए हमलों का मास्टरमाइंड था। उसकी पिछले साल इजराइली हमले में मौत हो गई थी।

इजराइली अधिकारियों के मुताबिक मोहम्मद सिनवार की वजह से बंधकों की रिहाई और युद्धविराम वार्ता में बार-बार रुकावट आ रही थी।

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