- 1984 के सिख दंगो के पीड़ित परिवारों के आश्रितों को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र दिए
- इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र को बचाने वाले लोगो को सम्मान देगी रेखा सरकार -कश्मीर विस्थापित परिवार को हरसंभव मदद दी जाएगी
- मोदी के सत्ता में आने के बाद सिख दंगों के पीड़ितों को मिला न्याय – मनजिंदर सिंह सिरसा
नई दिल्ली । 27 मई, 2025 । दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज दिल्ली सचिवालय परिसर में 1984 के सिख दंगो के पीड़ित परिवारों के आश्रितों को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र वितरित किए। इस कार्यक्रम में दिल्ली के कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा , दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री हरमीत सिंह कालका , राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सहित पीड़ित परिवारों के सदस्य उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार ने आधिकारिक नियुक्ति पत्र सौंपकर न केवल नौकरियाँ दी हैं, बल्कि उन हजारों परिवारों की गरिमा और पहचान को भी मान्यता दी है, जो इतने वर्षों से इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे।1984 के सिख-विरोधी दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में यह कदम मील का पत्थर है।
मुख्यमंत्री ने उपस्थित लोगो को सम्बोधित करते हुए कहा कि 1984 के दंगे भारत के इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जिसे भुलाना बहुत ही मुश्किल है। इन दंगो में जिन लोगों ने अपनों को खोया, उनके दर्द की कोई भरपाई नहीं हो सकती। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने और आरोपियों को सजा दिलाने का काम शुरू किया। उन्ही के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली सरकार इन पीड़ित परिवारों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने हेतु आज इन्हे सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र वितरित कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं है, यह न्याय है, जो चालीस वर्षों की चुप्पी और संघर्ष के बाद इनके जीवन में चला आया है। हम अतीत को बदल नहीं सकते, लेकिन इनका वर्तमान ज़रूर बेहतर कर सकते है। उन्होंने आगे कहा कि इन चार दशकों में हिंसा पीड़ितों ने असहनीय कष्ट सहे, परंतु दुर्भाग्यवश कोई भी पूर्व सरकार न उनके दर्द को समझ सकी और न ही उन्हें कोई ठोस मदद दे सकी। आज जब हम 125 परिवारों को नियुक्तियाँ देने में सक्षम हुए हैं, और उनमें से 19 लोग अपनी सेवाएं शुरू कर रहे है, तो यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है। यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि उनके अधिकारों की बहाली का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कश्मीरी विस्थापित परिवार, जो वर्षों से अपने ही देश में बेघर है, उन्हें भी पूर्व सरकारों ने लंबे समय तक अनदेखा किया। हमारी सरकार ने यह संकल्प लिया है कि सरकार उन्हें हर संभव मदद प्रदान करेगी। और ऐसे परिवारों को सरकार द्वारा उनकी लंबित सहायता और अनुदान मिलना भी शुरू हो चुका है। कोविड महामारी में जिन परिवारों ने अपने सदस्य खोए, और जिन्हें किसी प्रकार का मुआवज़ा नहीं मिला। इसके लिए सरकार द्वारा एक विशेष समिति गठित की गई है ताकि उन पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता दी जा सके। साथ ही, मुख्यमंत्री ने इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेलों में बंद रहे उन सेनानियों को भी याद किया, जिन्हें वर्षों तक कोई सम्मान नहीं मिला और कहा कि अब हमारी सरकार ने यह संकल्प लिया है कि ऐसे लोकतंत्र कि रक्षा करने वाले लोगो को भी सम्मान दी जाएगी, जैसा कि अन्य राज्यों में दिया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार सिख समुदाय के योगदान को सम्मान की दृष्टि से देखती है। और इस नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी रूप से पूरा किया गया है। मुख्यमंत्री ने सभी नियुक्त कर्मचारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे अपने कर्तव्यों का ईमानदारी और समर्पण से निर्वहन करें, और दिल्ली को ‘विकसित दिल्ली’ बनाने की दिशा में सक्रिय भागीदार बनें। उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार प्रत्येक दिल्लीवासी के लिए संवेदनशील है। यह नियुक्तियाँ हमारी सरकार की जवाबदेही और पीड़ितों के प्रति सहानुभूति का प्रमाण हैं। दिल्ली सरकार हर समुदाय के साथ न्याय और समानता के साथ खड़ी है।
कैबिनेट मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह क्षण मेरे लिए बेहद व्यक्तिगत है—न केवल एक मंत्री के रूप में, बल्कि एक ऐसे सिख परिवार के सदस्य के रूप में जिसने यह इंतज़ार, यह पीड़ा, यह उम्मीदें देखी हैं। आज मैं गर्व से कह सकता हूँ कि यह सरकार आखिरकार वह दे पाई है जो उन्हें वर्षों पहले मिलना चाहिए था। यह ऐतिहासिक निर्णय उन पूर्ववर्ती सरकारों की संवेदनहीनता पर एक करारा जवाब भी है, जिन्होंने बार-बार अपीलों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने आगे कहा कि यह नियुक्ति अपने आप में ऐतिहासिक है क्योकि नौकरी से सम्बंधित पात्रता पर दिल्ली सरकार ने छूट दी है। आज की इस प्रक्रिया से यह पूर्णतः साबित होता है कि न्याय में देर ज़रूर होती है, लेकिन हर बार वह नकारा नहीं जा सकता , हम गरिमा के साथ पीड़ितों के साथ है। पिछली सरकार जो कार्य 10 साल में पूरा नहीं कर पाई , वह हमारी सरकार ने 100 दिन में पूरा करके दिखाया है। और उन्होंने 1984 के आरोपियों को बचाने का काम किया जबकि रेखा सरकार ने उनके पीड़ितों को नियुक्ति पत्र देने का कार्य किया है।