ऑपरेशन सिंदूर ने PAK एयरफोर्स को 5 साल पीछे धकेला

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नई दिल्ली, 28 मई :ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया है। सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तानी एयरफोर्स को हुआ है। ANI ने सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया है कि भारत के हमले के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना लाचार हो गई थी। उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि हमले का बचाव कैसे किया जाए।

पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने हवा से दागी जाने वाली क्रूज मिसाइलों, लंबी दूरी से मार करने वाले हथियारों और अलग-अलग तरह के घूमते रहने वाले हथियारों का इस्तेमाल किया।

रक्षा सूत्रों के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने लगातार चार दिन तक पाकिस्तान में बहुत सटीक हमले किए। उनके मुताबिक इस हमले से पाकिस्तान को इतना नुकसान हुआ है कि उबरने में उन्हें कम से कम 5 साल लग जाएंगे।

आतंकियों के ठिकानों पर हमले से शुरुआत

भारत ने पाकिस्तान पर हमले की शुरुआत 6 और 7 मई की रात से की। भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर हमला किया था। इन ठिकानों में पाकिस्तान के पंजाब राज्य के बहावलपुर और मुरीदके जैसे इलाके भी शामिल थे।

इसके जवाब में 8 मई की शाम को पाकिस्तान ने भारत के एयर डिफेंस सिस्टम पर हमला करने की कोशिश की। उन्होंने तुर्किये और चीन के ड्रोनों का इस्तेमाल किया, लेकिन इसमें उसे कामयाबी नहीं मिली।

भारत की वायु रक्षा पूरी तरह से सक्रिय थी और छोटे हथियारों से लेकर बड़े एयर डिफेंस सिस्टम तक हर हथियार तैयार था। इन हथियारों ने पाकिस्तान के ड्रोनों को काफी नुकसान पहुंचाया।

भारतीय सेना ने भी सीमा के दूसरी तरफ भारी तोपों और रॉकेट लॉन्चरों का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान की सेना को बुरी तरह से उलझा कर रखा और उसे बड़ा नुकसान पहुंचाया।

भारत के हमले से कंट्रोल सेंटर से संपर्क टूटा

9 मई को भारतीय वायुसेना ने आक्रामक कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के चकलाला, सरगोधा और मुरीद हवाई अड्डों पर हमला किया। इन ठिकानों पर मौजूद कमांड और कंट्रोल केंद्र (C2 सेंटर) नष्ट कर दिए गए।

भारत ने इन ठिकानों को तीन प्रमुख हथियारों से निशाना बनाया – इनमें दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, रैम्पेज और स्कैल्प शामिल हैं। मिराज, राफेल, एसयू-30 और मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों को पिछले कुछ सालों में इन मिसाइलों से लैस किया गया है।

तीनों C2 सेंटरों के तबाह होने से पाकिस्तानी वायुसेना का संपर्क टूट गया। उनके विमान और ग्राउंड स्टेशनों के बीच कोई संपर्क नहीं रहा। इससे उनकी वायुसेना को गंभीर झटका लगा और वे कुछ भी तय नहीं कर पा रहे थे।

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