नई दिल्ली, 23 मई – भारत के विरोध के कुछ दिन बाद इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी, IMF ने पाकिस्तान को दिए 2.4 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज का बचाव किया है। IMF ने कहा कि पाकिस्तान ने सभी फंडिंग शर्तों को पूरा किया है जिस वजह से इस पैकेज को मंजूरी दी गई है।
9 मई 2025 को जब इस पैकेज की मंजूरी को लेकर IMF की बोर्ड मीटिंग हो रही थी तो भारत ने कर्ज देने पर आपत्ति जताई थी और वोटिंग में शामिल नहीं हुआ था।
भारत ने कहा था- पैकेज पर दोबारा विचार होना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान इन पैसों का इस्तेमाल आतंक को बढ़ावा देने में कर सकता है। हालांकि, IMF ने इसे नहीं माना।
IMF के 2.4 बिलियन डॉलर पैकेज में दो कॉम्पोनेंट शामिल
1. एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF): 1.023 अरब डॉलर (करीब 8.76 हजार करोड़ रुपए) की किश्त 14 मई 2025 को पाकिस्तान के स्टेट बैंक को मिली। इससे उसका विदेशी मुद्रा भंडार 10.3 अरब डॉलर (करीब 88 हजार करोड़ रुपए) तक पहुंच गया।
EFF का लक्ष्य पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और भंडार को बढ़ाना है। जून 2025 तक 13.9 अरब डॉलर (करीब 120 हजार करोड़ रुपए) के भंडार का लक्ष्य रखा गया है।
1.023 अरब डॉलर का जो फंड रिलीज किया गया है वो सितंबर 2024 में मंजूर किए गए 7 अरब डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ भारतीय रुपए) के पैकेज का हिस्सा है।
इसे 37 महीने में अलग-अलग अंतराल पर दिया जाना है। 1.1 बिलियन डॉलर की पहली किश्त 26 सितंबर 2024 को पैकेज की मंजूरी के तुरंत बाद रिलीज की गई थी।
यानी, दो किश्तों में 7 बिलियन डॉलर के EFF में से 2.123 बिलियन डॉलर (करीब 18 हजार करोड़ रुपए) जारी किए जा चुके हैं।
2. रेजिलिएंस एंड सस्टनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF): इसके तहत 9 मई को 1.4 अरब डॉलर की मंजूरी दी गई है। हालांकि, अभी इसे डिस्बर्स नहीं किया गया है। ये पैकेज आपदा प्रतिक्रिया में सुधार करने के साथ स्थायी जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देने जैसे कामों के लिए है।
रिव्यू के बाद जारी किया गया लोन
लोन देने के लिए IMF ने अपना पहला रिव्यू 9 मई 2025 को पूरा किया था। IMF तीन पैमानों पर इसे करता है…
- इकोनॉमिक परफॉर्मेंस: राजकोषीय अधिशेष, विदेशी मुद्रा भंडार स्तर, महंगाई नियंत्रण और ऋण प्रबंधन जैसे क्वांटिटेटिव टारगेट।
- स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स: पॉलिसी कमिटमेंट का अनुपालन हुआ या नहीं। जैसे टैक्स रिफॉर्म, एनर्जी सेक्टर एडजस्टमेंट और शासन सुधार।
- प्रोग्राम ऑब्जेक्टिव: व्यापक आर्थिक स्थिरता, सतत विकास, और RSF के मामले में क्लाइमेंट रेजिलिएंस की दिशा में प्रगति।