नई दिल्ली,। 23 मई 25 । 23 मई 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में आयोजित 22वें सीमा सुरक्षा बल (BSF) अलंकरण समारोह और रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने BSF के जवानों की वीरता और बलिदान की सराहना करते हुए बांग्लादेश को स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपने निर्माण में भारत, विशेषकर BSF की भूमिका को न भूले।
BSF की स्थापना और 1971 का युद्ध
अमित शाह ने कहा कि BSF की स्थापना 1965 में हुई थी और मात्र छह वर्षों के भीतर, 1971 में, इस बल को सबसे कठिन सीमा पर युद्ध का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, “1971 के युद्ध में BSF के जवानों ने जो वीरता और बलिदान दिखाया, उसे न तो भारत भूल सकता है और न ही बांग्लादेश को उसे भूलना चाहिए।”
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
गृह मंत्री ने हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे भारतीय सेना ने पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर हुए आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को कुछ ही मिनटों में तबाह कर दिया, जिससे पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने वाली नीतियों का पर्दाफाश हुआ।
पाकिस्तान की भूमिका पर तीखी टिप्पणी
अमित शाह ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आतंकियों के जनाजों में पाकिस्तानी सेना के अफसरों की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने वर्षों से भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया, लेकिन अब भारत की नीति में बदलाव आया है और हम आतंकवाद का माकूल जवाब दे रहे हैं।”
BSF की वर्तमान भूमिका और सम्मान
गृह मंत्री ने BSF की वर्तमान भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह बल देश की सीमाओं की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि BSF के लगभग 2.75 लाख जवान दुर्गम इलाकों और विषम परिस्थितियों में देश की सीमाओं की चौकसी कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम में अमित शाह के भाषण ने न केवल BSF के जवानों के साहस और समर्पण को सम्मानित किया, बल्कि बांग्लादेश और पाकिस्तान को भी स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के प्रति सजग और प्रतिबद्ध है।