नई दिल्ली । 23 मई 25 । भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत निर्वाचन आयोग ने देश की चुनावी प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु परिवर्तनकारी पहलों की शुरुआत की है। आयोग के अथक प्रयासों ने चुनाव प्रबंधन के सभी पहलुओं में दक्षता और समावेशिता को बढ़ाने हेतु सुधारों को प्रेरित किया है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने, निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी की उपस्थिति में, इस वर्ष मार्च में आयोजित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के सम्मेलन में इन पहलों का खाका प्रस्तुत किया था।
मतदाताओं को सशक्त बनाने, राजनीतिक दलों की सहभागिता सुनिश्चित करने, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, कानूनी स्पष्टता को सुदृढ़ करने और संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में आयोग ने समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। ये पहलें चुनाव प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखने और लोकतांत्रिक भागीदारी को गहरा करने के आयोग के दृढ़ संकल्प को दर्शाती हैं।
मतदान प्रक्रिया को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ और सरल बनाने के लिए, एक मतदान केंद्र पर निर्धारित अधिकतम मतदाताओं की संख्या को 1500 से घटाकर 1200 कर दिया गया है। इससे बूथों पर भीड़ और प्रतीक्षा समय में उल्लेखनीय कमी आएगी। शहरी बस्तियों, ऊँची इमारतों और आवासीय कॉलोनियों के विस्तार को देखते हुए, आयोग ने इन समाजों के भीतर अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है ताकि मतदाता के लिए मतदान और भी सुलभ हो सके। इसके अतिरिक्त, मतदाता सूचना पर्चियों को अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया जा रहा है, जिसमें क्रम संख्या और भाग संख्या को अब और अधिक स्पष्टता से प्रदर्शित किया जाएगा।
मतदाता सूचियों की सटीकता बढ़ाने के लिए, अब भारत के रजिस्ट्रार जनरल से मृत्यु पंजीकरण डेटा सीधे प्राप्त किया जाएगा। सत्यापन के बाद, इस डेटा का उपयोग मृत व्यक्तियों के नामों को मतदाता सूची से हटाने में किया जाएगा, जिससे सूची की प्रामाणिकता बढ़ेगी।
आयोग ने देश भर में राजनीतिक दलों को जोड़ने के लिए एक व्यापक जनसंपर्क कार्यक्रम चलाया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) और मतदाता पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) स्तर पर कुल 4,719 बैठकें आयोजित की गईं, जिनमें 28,000 से अधिक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सीईओ स्तर पर 40, डीईओ स्तर पर 800 और ईआरओ स्तर पर 3879 बैठकें आयोजित की गईं। इसके अतिरिक्त, आयोग ने आम आदमी पार्टी, भाजपा, बसपा, माकपा, एनपीपी आदि जैसे राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के प्रमुखों के साथ भी बैठकें की हैं। राजनीतिक दलों की चुनावी प्रक्रिया में सहभागिता को और सशक्त करने हेतु, भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (IIIDEM), दिल्ली में बिहार, तमिलनाडु और पुडुचेरी के बूथ स्तरीय एजेंटों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
प्रक्रियागत सुधार के रूप में, आयोग ने ECINET नामक एक नया एकीकृत डैशबोर्ड लॉन्च किया है, जो 40 से अधिक अलग-अलग अनुप्रयोगों और पोर्टलों को एक मंच पर एकीकृत करेगा। यह सभी हितधारकों – मतदाताओं, राजनीतिक दलों और चुनाव अधिकारियों – को सुव्यवस्थित और दक्ष सेवाएं प्रदान करेगा। लंबे समय से लंबित डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र (EPIC) की समस्या को भी हल कर लिया गया है, और अब प्रत्येक मतदाता को विशिष्ट EPIC नंबर सुनिश्चित करने हेतु एक नई प्रणाली लागू की गई है।
कानूनी सुधारों के संदर्भ में, आयोग ने मतदाता, प्रत्याशी, राजनीतिक दल और चुनाव कर्मियों सहित 28 विशिष्ट हितधारक श्रेणियों की पहचान की है। यह वर्गीकरण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951, मतदाता पंजीकरण नियम, 1960, और चुनाव आचरण नियम, 1961 के तहत किया गया है। आयोग के निर्देशों के आधार पर प्रत्येक हितधारक समूह के लिए कानून, नियम और निर्देशों पर आधारित प्रशिक्षण प्रस्तुतिकरण तैयार किए जा रहे हैं ताकि चुनावी कानूनों और प्रक्रियाओं की व्यापक समझ और अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
आयोग चुनाव प्रक्रिया में संलग्न मानव संसाधन को भी लक्षित प्रशिक्षण और पहचान उपायों के माध्यम से सशक्त बना रहा है। अब सभी बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) को मानकीकृत फोटो पहचान पत्र जारी किए जाएंगे। IIIDEM, दिल्ली में 3,000 से अधिक बूथ स्तर पर्यवेक्षकों को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है और आने वाले वर्षों में 1 लाख से अधिक पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित करने की योजना है, जिसका लक्ष्य देशभर में 10.5 लाख BLOs को प्रशिक्षण देना है। सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य और मीडिया नोडल अधिकारियों के लिए विशेष ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, बिहार राज्य के पुलिस अधिकारियों को मतदान ड्यूटी के लिए चुनाव-विशिष्ट प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
संस्थानिक रूप से, चुनाव आयोग ने आंतरिक कार्यक्षमता बढ़ाने हेतु कई सुधारों की शुरुआत की है। सभी कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू की गई है ताकि समय की पाबंदी और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। E-Office प्लेटफॉर्म के माध्यम से आंतरिक दस्तावेजों और प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण किया गया है। देशभर के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें भी आयोजित की जा रही हैं ताकि इन सुधारों के कार्यान्वयन की निगरानी की जा सके और चुनाव प्रशासन में एकरूपता बनाए रखी जा सके।
इन नई पहलों के साथ, भारत निर्वाचन आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और सुलभ चुनावों के आयोजन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करता है। ये कदम भारत के लोकतंत्र की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप चुनाव प्रणाली को अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति हैं, जो तकनीक, कानूनी सटीकता और प्रशासनिक सुधार के माध्यम से एक मजबूत चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करते हैं।
चुनाव प्राणली को सशक्त बनाने की परिवर्तनकारी पहल -ज्ञानेश कुमार
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