वक्फ एक्ट; केंद्र बोला-सरकारी जमीन पर किसी का हक नहीं

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नई दिल्ली ,21 मई–  वक्फ संशोधन एक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हो रही है। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि हम एक बहुत पुरानी समस्या को खत्म कर रहे हैं, जिसकी शुरुआत 1923 में देखी गई थी।

उन्होंने कहा है कि सरकारी जमीन पर किसी का कोई हक नहीं हो सकता, चाहे वो ‘वक्फ बाय यूजर’ के आधार पर ही क्यों न हो। अगर कोई जमीन सरकारी है, तो सरकार को पूरा अधिकार है कि वह उसे वापस ले ले, भले ही उसे वक्फ घोषित कर दिया गया हो।

केंद्र ने यह भी कहा कि वक्फ एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था है और यह कानून सिर्फ इसके प्रशासन और प्रबंधन को सुधारने के लिए लाया गया है, इससे धार्मिक स्वतंत्रता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

इससे पहले 20 मई को CJI बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच के सामने केंद्र ने पहले उठे मुद्दों तक सुनवाई सीमित रखने का अनुरोध किया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था, सुनवाई उन तीन मुद्दों पर हो, जिन पर जवाब दाखिल किए हैं।

नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई कर रहा है। इसमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को बहस के लिए 7 घंटे का वक्त तय किया है। मंगलवार को 3 घंटे तक याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने मामला आज तक के लिए स्थगित कर दिया था।

केंद्र की दलील- हमने बिना सोचे-समझे बिल नहीं बनाया

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां मंत्रालय ने एक बिल बनाया और बिना सोच-विचार के वोटिंग कर दी गई हो। कुछ याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय की ओर से नहीं बोल सकते। आपके पास जो याचिकाएं आई हैं, वे ऐसे लोगों ने दायर की हैं जो सीधे इस कानून से प्रभावित नहीं हैं।

उन्होंने आगे कहा कि किसी ने यह नहीं कहा कि संसद को यह कानून बनाने का अधिकार नहीं था। JPC की 96 बैठकें हुईं और हमें 97 लाख लोगों से सुझाव मिले, जिस पर बहुत सोच-समझकर काम किया गया।

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा- राहत के लिए मजबूत दलीलें लाइए

कल हुई सुनवाई में बेंच ने कहा था कि मुस्लिम पक्ष को अंतरिम राहत पाने के लिए मामले को मजबूत और दलीलों को स्पष्ट करना चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कोई संपत्ति ASI (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के संरक्षण में है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती।

कोर्ट का सवाल था- क्या ASI की संपत्ति में प्रार्थना नहीं हो सकती, वक्फ प्रापर्टी ASI के दायरे में आने से धर्म पालन का हक छिन जाता है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने बताया था कि नए कानून के तहत अगर कोई संपत्ति ASI संरक्षित है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती। वक्फ रद्द हो जाए तो फिर वह वक्फ संपत्ति नहीं। ये संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।

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