नई दिल्ली, 30 अप्रैल — बांग्लादेश के ढाका हाईकोर्ट ने जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को बुधवार को जमानत दे दी। चिन्मय दास पिछले 5 महीनों से देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं। चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने 23 अप्रैल को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।
बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार ने चिन्मय दास के वकील के हवाले से बताया है कि अभी चिन्मय की रिहाई तय नहीं हुई है। अगर बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर रोक नहीं लगाता है तो चिन्मय को रिहा कर दिया जाएगा।
चिन्मयपर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप है। इस मामले में राजद्रोह का केस दर्ज कर उन्हें 25 नवंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले 2 जनवरी को चटगांव की निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
पुलिस ने चटगांव जाते वक्त एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था
बांग्लादेश पुलिस ने पिछले साल 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार किया था। तब वे चटगांव जा रहे थे।
मौके पर मौजूद इस्कॉन के सदस्यों ने कहा कि डीबी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया। उन्होंने बस इतना कहा कि वे बात करना चाहते हैं। इसके बाद वो उन्हें माइक्रोबस में बैठाकर ले गए।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने बताया था कि पुलिस के अनुरोध के बाद चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया।
इसके बाद चिन्मय दास को कानूनी प्रक्रिया के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंप दिया गया था।
कौन हैं संत चिन्मय प्रभु ?
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं।
इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए।