​वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा, याचिकाओं को खारिज करने की मांग​

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नई दिल्ली:, 25 अप्रैल 2025 – वक्फ संशोधन कानून पर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। केंद्र ने कहा, ‘वक्फ मुसलमानों की कोई धार्मिक संस्था नहीं बल्कि वैधानिक निकाय है।’

केंद्र ने वक्फ (संशोधन) की वैधता के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं खारिज करने की मांग की। केंद्र ने कहा, अदालतें वैधानिक प्रावधान पर रोक नहीं लगा सकती, संवैधानिक वैधता की समीक्षा कर सकती हैं और निर्णय दे सकती हैं।

संसद में बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है। विधायिका द्वारा लागू की गई विधायी व्यवस्था को बदलना स्वीकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को 7 दिन के अंदर केंद्र से वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा था। इस मामले में अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

केंद्र के हलफनामें में 7 बड़ी दलीलें

  • अफवाहें फैलाई जा रही है कि संशोधन से धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लिया जाएगा। आप इस बिंदु पर विचार कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट किसी कानून की विधायी क्षमता और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर समीक्षा कर सकता है।
  • इस संशोधन कानून से किसी भी व्यक्ति के वक्फ बनाने के धार्मिक अधिकार में कोई हस्तक्षेप नहीं होता। केवल प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इस कानून में बदलाव किया गया है।
  • संसद द्वारा पारित कानून को संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है, विशेष रूप से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों और संसद में व्यापक बहस के बाद बना हुए कानून को।
  • संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र में काम करते हुए यह सुनिश्चित किया कि वक्फ जैसे धार्मिक बंदोबस्त का प्रबंधन किया जाए और उसमें जताया गया भरोसा कायम रहे।
  • निजी और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया है।
  • मुगल काल से पहले, आजादी से पहले और आजादी के बाद वक्फ की कुल जमीन 18 लाख 29 हजार163 एकड़ थी। चौंकाने वाली बात यह है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20,92,072.536 एकड़ की वृद्धि हुई।
  • वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 वैध विधायी शक्ति का वैध प्रयोग है।

अदालत से अनुरोध: अंतरिम रोक न लगाएं

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह वक्फ अधिनियम की वैधता पर अंतिम निर्णय दे और किसी भी तरह की अंतरिम रोक न लगाए। सरकार का कहना है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी और मामले पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगी।

AIMPLB ने 87 दिन प्रदर्शन का ऐलान किया

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के ‘वक्फ बचाव अभियान’ का पहला फेज 11 अप्रैल से शुरू होकर 7 जुलाई यानी 87 दिन तक चलेगा। इसमें वक्फ कानून के विरोध में 1 करोड़ हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जो PM मोदी को भेजे जाएंगे। इसके बाद अगले फेज की रणनीति तय की जाएगी।

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